Thursday 9 June 2016

Sangaon: New Archaeological Site in Fatehpur

Sangaon: New Archaeological Site in Fatehpur
पुरातात्विक दृष्टि से बेहद समृद्ध है सनगाँव
- लगभग 2000 वर्ष पूर्व कुषाण काल में भी आबाद था सनगाँव -
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कल(8 जून, 2016) को दिनभर किया गया इस गाँव का सर्वेक्षण। डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर' के साथ प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून' और विनीत सिंह भी थे सर्वेक्षण टीम में।
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गंगा और यमुना जैसी दो पवित्र नदियों के मध्य स्थित जनपद फतेहपुर ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने भी अपनी वेबसाइट में फतेहपुर के 26 पुरातात्विक स्थलों का जिक्र किया है, जिनमें असोथर, खजुहा, खैरई, कुरारी, हथगाम तथा कुँवरपुर आदि मुख्य हैं; किंतु सनगाँव अभी तक पुरातत्व विशेषज्ञों की दृष्टि से दूर ही रहा है। फतेहपुर-इलाहाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित ग्राम 'सनगाँव'(हँसवा ब्लॉक) में तमाम पुरासम्पदा यत्र-तत्र बिखरी पड़ी है, जिनमें हज़ारों की संख्या में पाषाण-मूर्तियाँ, स्तंभों के टुकड़े, चकियानुमा पत्थर तथा विशेष तकनीक से बनी ईंटों के अवशेष मुख्य हैं। मकान बनने के क्रम में या खेतों से समय-समय पर प्राप्त तमाम सामग्री लोगों के पास सुरक्षित भी है, जिसमें एक घड़ा सर्वप्रमुख है। फतेहपुर से लगभग पच्चीस किमी की दूरी पर स्थित इस गाँव का नाम 'सनगाँव' राजा 'सनत कुमार' के नाम पर पड़ा, ऐसी जनश्रुति है। हाल ही में यहाँ भुँइया रानी मन्दिर के बगल में स्थित तालाब के उत्खनन से 'विशेष प्रकार के पक्के गर्त' प्राप्त हुए थे, जिसकी सर्वप्रथम सूचना मुझे साहित्यकार प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून' जी से प्राप्त हुई थी, तब से यह योजना बनी कि बिखरी पुरासम्पदा का समग्र सर्वेक्षण किया जाए। फिलहाल मौजूद अधिकांश सामग्री को सूचीबद्ध कर लिया गया है। इसमें हमारी टीम के साथ-साथ ग्रामवासियों का भी भरपूर सहयोग मिला। तमाम साक्ष्य और संभावित निष्कर्ष भी हमारे पास हैं। कहने के लिए बहुत कुछ है। इसकी वृहद रिपोर्ट तैयार कर लेने के पश्चात् ए. एस. आई. भेजा जाएगा। एक शोधपत्र के माध्यम से पूरी बातें सामने लायी जाएँगी। यह बहुमूल्य पुरासम्पदा निश्चित रूप से एक प्राचीन बस्ती की ओर संकेत करती है। ये कलाकृतियाँ समृद्धता और तकनीक में जनपद के अतीत के रेखांकन में सहायक हैं। प्राप्त सामग्री के आधार पर प्रारंभिक तौर पर यह कहा जा सकता है कि यह प्राचीन बस्ती लगभग 2000 वर्ष पुरानी होगी। यहाँ से प्राप्त सामग्री कई स्तरों की है, जो कुषाण काल से लेकर परवर्ती काल की है। ये विभिन्न साक्ष्य प्रथम शताब्दी ई. से तेरहवीं-चौदहवीं शताब्दी ई. तक के हो सकते हैं।
By
Dr. Shailesh Gupta 'Veer'
(Ph. D. In Archaeology)

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कुछ छायाचित्र संलग्न हैं-

                         (अवलोकन एवं विमर्श)

(युगल पाषाण मूर्ति)

(ग्रामीणों से संवाद)

(भगवान शिव की पाषाण मूर्ति)

(पाषाण के कुछ विशिष्ट नमूने)

(पाषाण कलाकृति)

(विशेष प्रयोजन से निर्मित चकियानुमा बहुमूल्य पत्थर)

(राजेंद्र मौर्य के घर में संरक्षित घड़ा)

(रानी-राजा मन्दिर)

(पाषाण कलाकृति)

(पाषाण कलाकृति)

(प्राचीन ईंट का अवलोकन)

(विशेष छाप)

(गर्त की मिट्टी)

(तालाब के नीचे मिले विशेष प्रकार के पक्के गर्त)

(ग्राम प्रधान के पास सुरक्षित विशेष प्रकार की ईंटें एवं अन्य सामग्री)

(16×11 इंच की ईंट)

(बटिया शहीद बाबा मजार)

(सनगाँव का मानचित्र, गूगल से साभार)

(विनीत जी की भांजी, अपनी जिज्ञासुप्रवृत्ति और ज़िद के चलते इस चिलचिलाती धूप में हमारे साथ रही)

(सर्वेक्षण टीम)

(विशाल टीला, उत्खनन से यहाँ बहुत कुछ मिल सकता है)