Monday 19 October 2020

सेफ़्टी पिन लगा कर : डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर'

(3 क्षणिकाएँ)

जब उसने भेजी 
एक क्यूट मुस्कान वाली तस्वीर 
और लिखा कि-
"रख लो इसे बायीं ज़ेब में 
सेफ़्टी पिन लगा कर।"
तब गलबहियाँ करते,
मैंने साक्षात् देखा-
धरा को अम्बर से मिलते।
□ □
उसने कहा मुझसे
"अच्छे लगते हो तुम।"
ऐसा लगा
जैसे किसी ने सौंप दिया
मेरे हाथों में
ख़ुशियों का महाकाश।
□ □
तब बादलों ने 
समन्दर की स्याही से
गगन के भाल पर
लिख दिया-
जन्म-जन्मान्तर का साथ,
जब उसने रख दिया  
मेरे धड़कते दिल पर
अपना जादुई हाथ। 
□ □
© डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर' 
doctor_shailesh@rediffmail.com

[क्षणिका]