Sunday 6 November 2022

समय के प्राचीर पर : डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर'

[३ क्षणिकाएँ]
कोमल संवेदनाओं के 
बिन्दु-बिन्दु 
यथार्थ की सतह पर आकर
मिट गये, 
उमड़-घुमड़ रहा है
अश्रु-सरिता के तट पर 
भावनाओं का प्रबल वेग!
पाषाण हो गयीं
भावनाएँ,
टूट कर 
बिखर गये-
युग-युगों के 
संकल्प!
अहंकार का 
झंझावात 
आया,
उड़ा ले गया
समय के प्राचीर पर
श्रम से   बनाया
नेह का छप्पर!
© डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर'
18/17, राधा नगर, फतेहपुर (उ. प्र.)
पिन कोड- 212601
veershailesh@gmail.com