Friday 27 March 2020

जाने कैसा संकट छाया : डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर'

चलो!
प्रेम के
कुछ पल जी लें।।

क़ैद गेह में
दुनिया सारी,
जाने कैसा
संकट छाया।
कहो!
चुपचाप
कटेंगे दिन कैसे
चलो!
प्रेम के
कुछ पल जी लें।।

अनजाना भय
खा डालेगा,
घोर निराशा
में मत डूबो।
सुनो!
हँसो अलि
फिर से रस घोलो।
चलो!
प्रेम के
कुछ पल जी लें।।
© डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर'