Monday 10 January 2022

विश्व हिन्दी दिवस : डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर' के हाइकु

हिन्दी है मन
काया भारतवर्ष 
हर्ष ही हर्ष।
छुआ हमने 
जब-जब आकाश 
मुस्कायी हिन्दी।
अपनापन 
पुकारे बिन्दी-बिन्दी 
हम हैं हिन्दी।
है हिन्दी प्यारी 
अस्मिता वतन की 
माता हमारी। 
सब तो मिला
हिन्दी की छाँव तले
आकाश खिला।
है चिन्दी-चिन्दी
अपनों से ही तंग
भाल की बिन्दी।
जस का तस
नहीं बदला कुछ
हिन्दी दिवस।
छाये हुए हैं
अंग्रेज़ी के चमचे
हिन्दी-उत्सव।
दिन विशेष
गा रहे हैं कल से
हिन्दी के गीत।
बन्दी ज़मीर 
राष्ट्रभाषा का दर्ज़ा
कौन गम्भीर।
हिन्दी दिवस
आयी फिर से याद 
बरस बाद।
मन है हिन्दी
हिन्दी है हिन्दुस्तान
भाषा महान।
हिन्दी सर्वदा
देती मन को तोष
जय-उद्घोष।
लिपि विश्व में
अकेली वैज्ञानिक 
देवनागरी।
प्यार ही प्यार 
मातृभाषा का गर्व 
उन्नति-द्वार।
© डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर'
18/17, राधा नगर, फतेहपुर (उ. प्र)
पिन कोड- 212601

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