Friday 28 January 2022

गणतंत्र उत्सव : चार ताँका - डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर'

जीत की गाथा
गणतंत्र उत्सव 
हर्ष ही हर्ष
एक सूत्र में गुँथा
मेरा भारतवर्ष।
गूँजते बोल
तिरंगे की शान में
अनवरत 
धरा से व्योम तक
जय भारतमाता।
मूक चेतना
मूल्य स्वतंत्रता का
नहीं जानती
स्वयं के अस्तित्व को
नहीं पहचानती।
इतिहास में
अंकित हर एक
पंक्ति मानती
रक्त की बूँद-बूँद 
स्वतंत्रता जानती।
© डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर'
18/17, राधा नगर, फतेहपुर (उ. प्र.)
पिन कोड- 212601
veershailesh@gmail.com

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