Monday, 15 August 2022

राष्ट्रीय चेतना के हाइकु - डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर'


मिली आज़ादी
भारत माँ के लाल
हुए शहीद।

मन तिरंगा
है प्रत्येक उर में
प्रेम की गंगा।

सपने व्योम 
आज़ादी है अमृत 
संकट मोम।

पीढ़ियाँ होम
तब जाकर दिखा
मुक्ति का व्योम।

जोश में मिट्टी 
हवा में लहराया
जब तिरंगा।

अखण्ड स्वर
आज़ादी के मायने
सम्प्रभु राष्ट्र।

गर्वित राष्ट्र
रोम-रोम उल्लास 
जय भारत।

अतुल्य गाथा
भारत अद्वितीय 
नत है माथा।

© डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर'
18/17, राधा नगर, फतेहपुर (उ. प्र.) 
पिन कोड- 212601
मोबाइल- 9839942005
ईमेल- veershailesh@gmail.com

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