Monday, 6 May 2019

कविता दस्तावेज़ है - डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर'

उसने भेजी
एक प्यारी-सी तस्वीर
ताकि
भागदौड़ के बीच
चलती रहे कविता।

वह जानती है कि
तस्वीर देखकर
मैं लिखूँगा
ज़रूर कोई कविता।

वह जानती है कि
कविता देगी ऊर्जा
मुझे और उसे
हम दोनों को।

वह जानती है कि
ज़रूरी है कविता
आपाधापी के बीच
मन को तरोताज़ा
रखने के लिए।

वह जानती है कि
कविता ज़रूरी है
वर्तमान और भविष्य के लिए।

वह जानती है कि
कविता दस्तावेज़ है
मेरे और उसके होने का,
समय और गाढ़ी अनुभूति को
रेखांकित करती ये कविताएँ
युगों तक नेह और संवेदनाओं का
प्रतिमान बनी रहेंगी
वह जानती है यह बात बख़ूबी!

मैं जानता हूँ उसके मन की ये बातें
तभी तो उसकी हर एक तस्वीर
प्रेरणा है मेरे लिए!!!

© डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर'
फतेहपुर/उत्तर प्रदेश 
16/04/2019



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