Wednesday, 4 December 2019

विश्व हाइकु दिवस पर 10 हाइकु : डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर'

1-
नदी झूमती
पार कर त्रासदी
नभ चूमती।

2-
खिलौने लाये
चहक रहे बच्चे
पापाजी आये।

3-
याद आ गये
गेंदा-गुलाब-जूही
हँसी बिटिया।

4-
पुराना गया
शुद्ध पर्यावरण
सर्वस्व नया।

5-
पूरे हो गये
पहाड़-से सपने
पिता खो गये।

6-
जीवन-मृत्यु
आरोही-अवरोही
शाश्वत सत्य।

7-
सपने धुआँ
हाथ हो गये पीले
रोटी-बेलन।

8-
छाये बादल
उमस छू-मंतर
मन-कमल।

9-
अहं को ढोतीं
अनाचार की साक्षी
सदियाँ रोतीं!

10-
नारी ने किया-
सत्य का साक्षात्कार
जग को चुभा!
© डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर'

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