चलो सजनी
दीप बालो।।
आसुरी शक्तियों ने
फिर से रचा है
षड़यंत्र भीषण,
घुला विष हवाओं में
है हर क्षण यहाँ
इति का निमंत्रण।
बाती बनाओ
घृत-तेल डालो,
चलो सजनी
दीप बालो।।
हम करेंगे संहार
अपने शत्रु का
लेंगे जीत रण,
अपेक्षित संग सबका
सम्भव है यहाँ
श्वासों का वरण।
उर में अलौकिक
संकल्प पालो,
चलो सजनी
दीप बालो।।
© डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर'
दीप बालो।।
आसुरी शक्तियों ने
फिर से रचा है
षड़यंत्र भीषण,
घुला विष हवाओं में
है हर क्षण यहाँ
इति का निमंत्रण।
बाती बनाओ
घृत-तेल डालो,
चलो सजनी
दीप बालो।।
हम करेंगे संहार
अपने शत्रु का
लेंगे जीत रण,
अपेक्षित संग सबका
सम्भव है यहाँ
श्वासों का वरण।
उर में अलौकिक
संकल्प पालो,
चलो सजनी
दीप बालो।।
© डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर'
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