जल-जीवन
व्यर्थ हैं जल बिन
'शुक्र'-'मंगल'।
□
जल-चेतना
अद्भुत-अनमोल
जीवन्त सृष्टि।
□
जब बचेंगे
जंगल-जलाशय
बचेंगे हम।
□
जल-रक्षण
अति-आवश्यक
सुखी भविष्य।
□
जल के साथ
जिये कल की पीढ़ी
रोप दो पौधे।
□
जल अस्तित्व
जल गढ़े जीवन
जल सर्वस्व।
□
निहित प्राण
बूँद-बूँद जीवन
जल प्रमाण।
□
जल-आधार
बूँद-बूँद बचाओ
पुण्य कमाओ।
□
© डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर'
doctor_shailesh@rediffmail.com
वाह
ReplyDelete