Saturday 5 February 2022

जय शारदे : तीन ताँका - डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर'

उर कपाट 
खोलती माँ सर्वदा
दे बुद्धि-बोध
अंधकार हरती
प्रकाश है भरती।
जय शारदे
माँ भरो संचेतना
बुद्धि उर में
मैं हूँ शरणागत 
करता हूँ अर्चना।
उर में जले
ज्योति सदा ज्ञान की
नमन माता
शरणागत पुत्र 
है मस्तक झुकाता।
- डॉ. शैलेष  गुप्त 'वीर'
फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)

No comments:

Post a Comment