राम ने माना
आदर्श ही जीवन
हो गये राम।
बरसी कृपा
मूढ़ को मिला मोक्ष
राम की इच्छा।
दया के सिन्धु
राम से सुवासित
प्रत्येक बिन्दु।
राम से प्रीत
अशुभ का विनाश
शुभ की जीत।
राम ही राम
कण-कण में राम
सृष्टि के प्राण।
© डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर'
फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)
veershailesh@gmail.com
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