कौन सुनेगा सुर बाँसुरिया,
बैंजो होगा तुम्हें बजाना।
जैक्सन का संसार दिवाना,
मधुसूदन अब तुम मत आना।
यमुना तट सुनसान पड़ा है,
जुहू बीच अब जाना होगा।
धूप सेंकती बालाओं से,
इंग्लिश में बतियाना होगा।
मोबाइल है स्टेटस सिम्बल,
मोर पंख का गया जमाना।
घर के आगे कार फ़रारी,
नहीं चलेगा गाय चराना।
स्पोकन इंग्लिश, कम्प्यूटर कोर्स
जाने क्या-क्या करना होगा।
टाइ-सूट में बन-ठन कर अब,
हाय-बाय भी करना होगा।
थोड़ा जिम भी जाना होगा,
ह्विस्की-रम भी पीना होगा।
तेरे नाम की हेयर स्टाइल,
अपने सिर भी लाना होगा।
माखन-दही चुराने जाना,
तो बस अपनी ख़ैर मनाना।
चिकनी चुपड़ी बातों में ये,
आने वाला नहीं जमाना।
माँ से कौन कहेगा चोरी,
अब पुलिसकेस बन जायेगा।
अगले हफ़्ते ही पुलिसमैन,
घर सम्मन लेकर आयेगा।
मानव बचे कहाँ कलयुग में,
कंसों से भू भरी पड़ी है।
एके-छप्पन, हाइड्रोजन बम,
क्रूज-मिसाइल बड़ी-बड़ी हैं।
रख कर चक्र-सुदर्शन आना,
वरना होगा मुँह की खाना।
हुआ पुनः यदि चीरहरण तो,
नित्य अदालत आना-जाना।
मत आना मधुसूदन अब तुम,
नहीं रही वह बात पुरानी।
नेता काट रहे हैं चाँदी,
नहीं रहे अब राजा-रानी।
© डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर'
18/17, राधा नगर, फतेहपुर (उ. प्र.)
पिन कोड- 212601
मोबाइल- 9839942005
(रचना काल : 2003)
No comments:
Post a Comment