जड़ से जीव
मूढ़ से मतिमान्
गुरु महिमा।
उसने छुआ
धरती से आकाश
गुरु की कृपा।
जाग्रत हुए
श्रद्धा और विवेक
गुरु आशीष।
विस्मित जग
आदमी हुआ हीरा
गुरु का स्पर्श।
गगन छोटा
प्रतिभा के सम्मुख
गुरु-सानिध्य।
- डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर'
18/17, राधा नगर, फतेहपुर (उ. प्र.)
पिन कोड- 212601
ईमेल- veershailesh@gmail.com
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