Wednesday 22 March 2023

चलें कौन-सा दाँव : डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर'

नहीं रही क्यों 
कहाँ गयी अब
गुलमोहर की छाँव,
इसी प्रश्न पर 
मौन साध कर 
बैठा सारा गाँव।

गांधारी हो गयी अस्मिता 
धृतराष्ट्र न्याय के पैमाने
नतमस्तक हो कर सत्य-शील 
बैठे दुर्योधन पैताने,
अंगराज-सा
भाग्य विवश है
कटे हुए हैं पाँव।

इधर चेतना के सर पर
कुछ काले बादल मँडराये
उधर बवंडर हुआ माफ़िया
कट्टा-बन्दूकें लहराये,
भयाक्रांत 
रोटी के सपने
चलें कौन-सा दाँव।

© डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर'
18/17, राधा नगर, फतेहपुर (उ. प्र.) 
पिन कोड- 212601
वार्तासूत्र- 9839942005
ईमेल- veershailesh@gmail.com

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