Monday, 25 March 2019

क्षणिका/बारिश चली आयी : डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर'


तुमसे मिलने बारिश स्वयं चली आयी
और तुम
देखो न मौसम का जादू
आओ बैठते हैं
गंगा के तट पर
ढेर सारी बातें करेंगे
हम-तुम!
© डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर'
25/03/2019

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